Monkey Pox Virus: अभी हम कोरोना जैसी महामारी से निकले भी नहीं थे बस इतने ही दिनों मैं एक और वायरस ने दस्तक देदी है जिसकी वजह से दुनिया मैं डर रही है ये वायरस अभी अमेरिकन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सहित 10 से ज्यादा देशों मैं फैला चूका है अगर इसको अभी नहीं रोका गया तो ये वायरस भी कोरोना की तरह पूरी दुनिया को अपनी चपेट मैं लें सकता है
क्या होता है मंकी पॉक्स वायरस
मंकी पॉक्स वायरस एक वायरस से ही होता है जो स्मॉल पॉक्स परिवार का ही एक हिस्सा है ये सेंट्रल और पश्चिमी देशों मैं ज्यादा देखने को मिलता है इस वायरस के दो मेन इस्ट्रेम हैँ वेस्ट अफ्रीकन, और सेंट्रल अफ्रीकन
Monkey pox के लक्षण इस प्रकार दीखते हैँ इस मैं बुखार, खांसी, जुकाम, पीठ मैं दर्द,थकान और सर मैं दर्द होने लगता है इस मैं बुखार होने पर शरीर पर लाल रंग के दाग हो सकतें हैँ जिसकी सिरुआत चेहरे से होती है धीरे धीरे ये पुरे शरीर पर फैलते जाते हैँ और ये हाथ की हथेलियों पर और तल्वो पर ज्यादा होता है इन रेसिस पर बहुत खुजली होती है और बाद मैं इन पर पपड़ी जम जाती है इसके बाद ये खुद गिर जाती है इसके बाद इस मैं घाव भी बन जाते हैँ लेकिन ये संकरमाड़ खुद ही ठीक हो जाता हैँ और ये सिर्फ 14 से 21 दिनों तक रहता है
क्या कारण है इसके फैलने का
ज़ब आप किसी ऐसे संक्रमण वाले व्यक्ति के सम्पर्क मैं आते हैँ तो ये आपको भी हो सकता है इसका व्यसर किसी कट से या नाक काम या सेक्स के दौरान भी ये शरीर के अन्दर जा सकता है और इसके अलावा यह संक्रमित जानवरों गिलहरी बंदर कुत्ते आदि जानवरों से भी फैल सकता है अगर हम किसी का बिस्तर शेयर भी करते हैं तो उसके द्वारा भी यह वायरस फैल सकता है
कितना ख़तरनाक है Monkey pox
अभी तक इस मामले के हल के ही लक्षण देखने को मिले हैं लेकिन यह वायरस ज्यादा दिनों तक किसी के ऊपर अपना असर नहीं दिखाता है इसका देखने का लक्षण यह चिकन पॉक्स की तरह ही होता है और कुछ ही हफ्तों में यह अपने आप ही ठीक होने लगता है इस वायरस में सिर्फ कुछ ही मामलों में मौत हो सकती है क्योंकि पश्चिमी देशों में इस वायरस से मौत होने की भी खबर मिली है
किसको है इससे ज्यादा खतरा
बताया जा रहा है इससे गे और बाय सेकसुअल लोगों को ज्यादा खतरा है लेकिन अगर किसी को भी मंकीपॉक्स का वायरस लगा हुआ है तो अगर आप उसके संपर्क में आते हैं तो यह बीमारी आपको भी हो सकती है लेकिन ब्रिटेन की हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी ने बताया है कि ब्रिटेन और यूरोप में गे और बाइसेक्स वाले लोगों मैं इस वायरस को ज्यादा देखा गया है इसीलिए एजेंसी ने उन्हें खासतौर पर सतर्क रहने के लिए कहा गया है
कैसे सिरु हुआ ये वाइरस
साल 1970 मैं ये सबसे पहले एक बन्दर मैं देखने को मिला था उसी के बाद से इसका नाम मंकी पॉक्स पड़ गया 1970 से ये अफ़्रीकी 10 छोटे देशों मैं इसके मामले देखने को मिले हैँ और 2003 मैं अमेरिका मैं इसके मामले देखने को मिले और ये पहली बार था ये अफ्रीका देशों से बाहर पहली बार देखने को मिला वहां इंसानों मैं ये वाइरस बाहर से लाये गये जानवरों से आया था उस समय अमेरिका मैं कुल 81 मामले मिले ल्व्कीन इससे कोई भी मौत नहीं हुईं थी और 2017 मैं नजीरिया मैं ये देखने को मिला था जहाँ सबसे ज्यादा मामले देखने को मिले यहाँ 172 मामले सामने आये थे
इसी बात से पता चलता हैँ की ये वायरस ज्यादा ख़तरनाक भी नहीं हैँ और ये आसानी से नहीं फैलता है
इस बीमारी मैं 80% तक कोविड वेक्सीन की कारगर है